ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
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मान्यतानुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण जी का व्रत और पूजन करने से जातक को जीवन में सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा 19 सितंबर को है।
सत्यनारायण व्रत विधि: धार्मिक मान्यतानुसार व्रती को सामर्थ्यानुसार केले के पत्ते, पांच फल, तुलसी, पंचामृत, सुपारी, पान, दूर्वा आदि के साथ भगवान सत्यनारायण जी की पूजा करनी चाहिए। पंडित द्वारा सत्यनारायण जी की कथा सुनने के बाद समस्त देवी-देवताओं की आरती करनी चाहिए और प्रसाद ग्रहण कर भगवान से सफल जीवन की कामना करनी चाहिए।
सत्यनारायण व्रतकथापुस्तिका के प्रथम अध्याय में यह बताया गया है कि सत्यनारायण भगवान की पूजा कैसे की जाय।
जो व्यक्ति सत्यनारायण की पूजा का संकल्प लेते हैं उन्हें दिन भर व्रत रखना चाहिए। पूजन स्थल को गाय के गोबर से पवित्र करके वहां एक अल्पना बनाएं और उस पर पूजा की चौकी रखें। इस चौकी के चारों पाये के पास केले का वृक्ष लगाएं। इस चौकी पर ठाकुर जी और श्री सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा करते समय सबसे पहले गणपति की पूजा करें फिर इन्द्रादि दशदिक्पाल की और क्रमश: पंच लोकपाल, सीता सहित राम, लक्ष्मण की, राधा कृष्ण की। इनकी पूजा के पश्चात ठाकुर जी व सत्यनारायण की पूजा करें। इसके बाद लक्ष्मी माता की और अंत में महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा करें।
पूजा के बाद सभी देवों की आरती करें और चरणामृत लेकर प्रसाद वितरण करें। पुरोहित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दे व भोजन कराएं। पुराहित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर आप स्वयं भोजन करें।
Tags: Satyanarayan Katha Puja